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सफेद कास और खंजन नयन

डॉ योगेन्द्र चुनाव आ रहा है, जा रहा है। कोई जीत रहा है, कोई हार रहा है। कोई कह रहा है कि देश विकसित हुआ है। कोई कह रहा है कि, क़र्ज़ में डूबा घर कभी विकसित नहीं होता। हरेक का अपना रोना है और हरेक को अपना गाना। गाने पर याद आया। आज मैं सुबह…