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capitalist system

मार्क्सवाद को खारिज नहीं किया जा सकता

आदिम समाज से लेकर, दासप्रथा, राजतंत्र और फिर पूंजीवादी व्यवस्था तक का सफर किया है। इसलिए विदेशी दर्शन बताकर मार्क्सवाद को खारिज नहीं किया जा सकता।

आक्समिक नही है नेताओं का चारित्रिक अवमूल्यन

देश में आजादी आंदोलन चल रहा था। अपने नेता के आह्वान पर झुंड के झुंड युवक व युवतियां आंदोलन में शामिल हो रहे थे। अपने प्राणों की आहुति दे रहे थे। उनके दिलों में अपने नेताओं के प्रति बड़ा सम्मान भाव था। तब नेताओं में खुदगर्जी की कोई भावना…

पुराना घर गिरे, नया घर उठे

तब समझा, पुरातन का मोह नूतन के सृजन में बाधक होता है। वह सृजन पहले विचारों का होता है, फिर समाज का। पुरातन को पूरी तरह त्याग कर ही नूतन की स्थापना होती है। यही प्रकृति का नियम है। यह काम आसान नहीं है। पुरातन के मोह से ग्रस्त लोग हर युग में…