सामाजिक-न्याय के सवाल पर प्रशांत मौन क्यों है? क्या जन सुराज का राजनीतिक बदलाव ही बिहार के सांस्कृतिक-बदलाव का आधार बनेगा? इस प्रशांत-रेखा को समझना जरूरी है. प्रशांत यही साबित करना चाहते हैं कि जिस समूह के पास धन होगा और ऊँची पहुँच होगी,…
यहाँ पीके यानी पुनमिया कुशाल की नहीं, बल्कि मैं प्रशांत किशोर की बात कर रहा हूँ। बिहार के सियासी लोक में इनका अवतरण हुआ है। आमिर खान की तरह यह प्रशांत किशोर भी पिछले दो साल से बिहार में भटक रहे हैं
मौसम का मिजाज देख सत्ता भी अपना मिजाज बदल रही है। सत्ता फिर करवट लेगी या किस करवट लेगी ? जितना मुँह उतनी बातें हो रही है। राजग गठबंधन पर भदवा लगता दिख रहा है। आशंकाओं के बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं। सत्ता बदलने के पहले जैसा वातावरण होता है या…
आज से लगभग पचास साल पहले एक नारा बहुत ही बुलंद था-अँधेरे के तीन प्रकाश ! गाँधी लोहिया जयप्रकाश !! बिहार में गूंजता वह नारा अब बदल गया है।अँधेरे के अब तीन प्रकाश ही नहीं,बल्कि चार प्रकाश हो गए हैं? इस नारे में नया नाम अब बाबासाहेब आंबेडकर का…