कब्र खोदना है या स्पेस में जाना है

सुनीता विलियम्स के आंतरिक्ष

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डॉ योगेन्द्र
सुबह हो चुकी थी। नींद खुली तो ट्रेन ‘तिन पहाड़‘ स्टेशन पर रूकी थी। तिन पहाड़ मुझे छात्र जीवन से रोमांटिक लगता रहा है। वह भी इसलिए कि कृष्णा सोबती का एक उपन्यास है- ‘तिन पहाड़’। स्टेशन के पास सचमुच तीन पहाड़ियाँ हैं, जिन पर कई देवी देवता विराजमान हैं। रोग- शोक दूर करने लोग यहाँ आते हैं। कृष्णा सोबती का यह उपन्यास इन पंक्तियों से शुरू होता है-‘तीन पहाड़’ साँझ की उदास-उदास बाँहें अँधिआरे से आ लिपटीं। मोहभरी अलसाई आँखें झुक-झुक आई और हरियाली के बिखरे आँचल में पत्थरों के पहाड़ उभर आए। चौंककर तपन ने बाहर झाँका। परछाई का सा सूना स्टेशन, दूर जातीं रेल की पटरियाँ और सिर डाले पेड़ों के उदास साए। पीली पाटी पर काले अक्खर चमके ‘तिन-पहाड़’, और झटका खा गाड़ी प्लेटफॉर्म पर आ रुकी। यों इस उपन्यास का भौगोलिक क्षेत्र दार्जिलिंग है, लेकिन यह वर्णन झारखंड के इस छोटे से क्षेत्र पर हू-बहू लागू होता है। तिन पहाड़ के आगे है तालझारी और सकरीगली। ताड़ और खजूर के अनगिनत पेड़ हैं और हैं टपकते महुए। गिट्टियों के लिए पहाड़ियों की कचूमर निकाल दिया गया है।
यों गिट्टियाँ निकालने से पहाड़ तो टूटते ही हैं। आसपास बीमारियां भी फैलती हैं। डस्ट इतना ज्यादा होता है कि साँस की तकलीफ तो आम हो जाती है और पेड़ पौधे भी इससे लिपट जाते हैं। पहाड़ के टूटने से कचूमर निकलता ही है, इधर नवजात लोग देश तोड़ने पर लगे हैं। एक जिन्ना और उनकी औलादें थीं, जो द्विराष्ट्रवाद का झूठा और अनर्गल सिद्धांत देकर पाकिस्तान बनाया। एक औलाद भारत में थे, उनकी औलादों का सपना पूरा होना बाकी है। वे दंगा करने और कब्र खोदने में लगे हैं। उन्हें एक पाकिस्तान टाइप का भारत चाहिए जिसका संविधान मनुस्मृति हो। उन्हें डॉ अम्बेडकर, नेहरु, गांधी आदि पसंद नहीं हैं। जिन्होंने सभी भारतीयों के लिए राजनीति और कानून की संरचना तैयार की। ये बुद्धिहीन लोग जिन्हें झूठ और दुष्प्रचार करने की लत है, आजकल देश के शासक हैं। फेसबुक पर सुनीता विलियम्स के आंतरिक्ष से लौटने की खबर छाई हुई है और हम हैं कि कब्र में भविष्य देख रहे हैं। आंतरिक्ष में जो लोग रहने गए, उनमें चीनी, जापानी और अमेरिकी भी हैं। वहाँ किसी को वीजा की आवश्यकता नही है। हमें ऐसा मुल्क और विश्व चाहिए जिसमें सभी के लिए स्पेस हो। धरती किसी की बपौती नहीं है और हम भारतीय तो अपने को इसका ट्रस्टी कहते हैं।
हत्या, आत्महत्या और बलात्कार से भरी खबरों के बीच जब हम कब्र और दंगे की राजनीति करते हैं तो आप जघन्य अपराध करते हैं। अभी भी होश हुआ नहीं है। या गद्दी के चक्कर में मदहोश हो गये हैं। अमेरिका के दबाव में कसमसाते राजनेता अगर इतने ही बेखबर हैं तो जनता को चेत जाना चाहिए। सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की हैं। इस पर गर्व करते हैं, लेकिन हम सुनीता विलियम्स पैदा नहीं कर सकते। न साहस, न जुनून, न जज्बा। सुनीता विलियम्स अमेरिकी है। जो भी अच्छा बुरा है, वह अमेरिका का है। एक नयी बात देखने को मिल रही है कि अमेरिकी पूँजीपति एलन मस्क अपना उपग्रह भेज रहा है, सरकार नहीं। लगता है कि मस्क ही सरकार है और ट्रंप मोहरे। ट्रंप भी बहुत सी सार्वजनिक संस्थाएं बंद कर चुके हैं। अब सिर्फ मुनाफे वाली संस्थाएं चाहिए। दुधारू गाय हैं तो गोंडी में रहेंगे, वरना कसाई खाने का रास्ता नापो।

 

Sunita Williams and Space
डॉ योगेन्द्र

 

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं
जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)
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