विकास का चेहरा इस आईने में भी देखिए मुख्यमंत्री जी

उपेक्षा की शिकार सड़क मुख्यमंत्री को विकास का असली चेहरा दिखाने के लिए काफी

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ब्रह्मानंद ठाकुर
मुजफ्फरपुर जिले का एक प्रखंड है बंदरा। आज से 30 साल पहले पुराने मुरौल प्रखंड को विभाजित कर बंदरा को प्रखंड का दर्जा मिला था। यह गायघाट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत है। इस प्रखंड में बूढ़ी गंडक नदी के बाएं तटवर्ती क्षेत्र के 12 पंचायत शामिल हैं। इन 12 में चार पंचायत, सिमरा, पीरापुर, रामपुरदयाल, रतबारा और तेपरी की लाइफलाइन सड़क है बड़गांव – शंकरपुर- सकरी पथ।

पिलखी पुल के उत्तरी पहुंच पथ से इस सड़क की कुल लम्बाई 13 किलो मीटर है। इस सड़क के किनारे इलाके के हाईस्कूल, इंटर कालेज, बैंक, डाकघर, अस्पताल आदि संस्थाएं अवस्थित है। क्षेत्र के लोगों को सैदपुर हाट, डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा जाने के लिए भी यही एकमात्र सड़क है। यह सड़क इस इलाके को समस्तीपुर जिला सीमा से जोड़ती है। बूढ़ी गंडक नदी के पिलखी में पुल बन जाने के बाद इस सड़क की उपयोगिता काफी बढ़ गई है। यातायात का दबाव भी काफी बढ़ा है। पहले यह सड़क कच्ची हुआ करती थी। लोग हिचकोले खाते हुए सफर करते थे। तीस-चालीस साल पहले इसपर चरणवार ईंट सोलिंग कराया गया। फिर पक्कीकरण कई चरणों में पक्कीकरण हुआ। पक्कीकरण भी ऐसा कि सड़क आगे बनती गई और पीछे से टूटती रही। आज कई जगहों पर यह सड़क खंडहर मे तब्दील हो चुकी है। सामान्य दिनों में आज भी लोग इस सड़क से हिचकोले खाते हुए सफर करते हैं। बरसात और बाढ के मौसम में यह सड़क आवागमन के लायक नहीं रह जाती है। स्थानीय उत्साही युवाओं ने बीते बरसात के मौसम में चंदा उगाही कर ईंट भट्ठे की छाई से सड़क के गड्ढों को भरने का काम किया था। यातायात के दबाव से गड्ढे फिर यथावत हो गये। स्थानीय लोगों में इस सड़क के निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। लोग स्थानीय सांसद और विधायक पर इस सड़क की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। इनका आरोप निराधार भी नहीं है।

भाजपा के टिकट पर अजय निषाद 2014 से लगातार दो बार इस क्षेत्र से सांसद निर्वाचित होते रहे। लोगों का कहना है कि उन्होंने भी इस सड़क के जीर्णोद्धार के प्रति अपनी रुचि नहीं दिखाई। वर्तमान में भाजपा के ही राजभूषण निषाद यहां के सांसद हैं। महेश्वर प्रसाद यादव ने लगातार कई बार विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया लेकिन इस सड़क के मामले में वे भी उदासीन ही बने रहे। फिलहाल राजद के निरंजन राय यहां के विधायक हैं। अगले कुछ महीनों में उनका कार्यकाल भी समाप्त होने वाला है। वे भी इस सड़क का जीर्णोद्धार नहीं करा पाए। वैसे विधायक निरंजन राय का कहना है कि 2022 में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी थी तब उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के जिम्मे पथ निर्माण विभाग था। उन्होंने इस सड़क के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भी दिया। दुर्भाग्य से महागठबंधन की सरकार गिर गई और उनका वह प्रस्ताव ठंढे बस्ते में चला गया। फिलहाल इस सड़क के जीर्णोद्धार की मांग पर जोर डालने के लिए एक संघर्ष समिति का गठन किया गया है। इसी के बैनर तले आगामी 26 दिसम्बर को जिलाधिकारी के समक्ष एक दिवसीय धरना आयोजित करने का कार्यक्रम निर्धारित है। सूबे के मुख्यमंत्री अपनी महिला संवाद यात्रा पर मुजफ्फरपुर आने वाले हैं। इसकी तैयारी चल रही है। जनप्रतिनिधियों एवं सरकार की उपेक्षा की शिकार यह सड़क मुख्यमंत्री को विकास का असली चेहरा दिखाने के लिए काफी है। स्थानीय लोग कहते हैं, नेताओं के वादे और आश्वासनो पर अब भरोसा नहीं रहा। आगामी विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता इस सड़क को चुनावी मुद्दा बना लें तो कोई आश्चर्य नहीं।

 

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ब्रह्मानंद ठाकुर
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं
जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)
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