डॉ योगेन्द्र
अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों की दूसरी खेप लेकर सैन्य विमान अमृतसर में उतरा जिसमें पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, यूपी, गोवा के नागरिक थे। सबसे ज़्यादा पंजाब के 65, इसके बाद हरियाणा के 33 और इसके बाद गुजरात के 8 हैं। कमोबेश इन राज्यों को विकसित कहा जाता है। मजा यह है कि बिहार, बंगाल, असम, दंगाग्रस्त राज्य मणिपुर, मेघालय, अरूणाचल, नागालैंड जैसे राज्यों के नागरिक नहीं हैं। बिहारी जो अपने देश ही नहीं कई देशों में फैले हैं, वे अमेरिका में अवैध रूप से नहीं जा रहे। ऐसा भी नहीं है कि बिहार संपन्न राज्य है या यहाँ गरीबी नहीं है। अमीर और अतिरिक्त दौलत कमाने के सपने शायद लोग यहाँ ज्यादा नहीं देख रहे। गुजरात के लोग सेना में नहीं जाते, वे व्यापार में जाते हैं। बिहार के लोग सेना में जाते हैं और शहीद होते रहते हैं। सेना में हरियाणा और पंजाब के लोग भी बहुतायत से हैं। नरेंद्र मोदी जी जब प्रधानमंत्री बने तो बड़े-बड़े सपने लोगों को दिखाये। बनारस को जापान के शहर क्योटो बनाने के सपने दिखाए। देश के बारे में कहा कि इसे इतना सुंदर बनायेंगे कि अमेरिका के लोग वीजा लेने के लिए लाइन लगा देंगे। हालत यह है कि अमेरिका जाने के लिए आज भी लोग लाइन लगाये खड़े हैं। अखबार में एक साथ दो खबरें हैं – एक अमेरिकी सैन्य विमान से अवैध भारतीय प्रवासी के लौटने की और इससे भी बड़ी खबर है कि अब भी डंकी रूट से भारतीय अमेरिका भेजे जा रहे। अमेरिका जाने की ऐसी जिद क्यों है? उस पर भी 35-35 लाख में। 35 लाख रूपए कोई सामान्य आदमी तो जमा नहीं कर पाता होगा! अब समझ में आता है कि बिहार और बंगाल के लोग अमेरिका डंकी रूट से क्यों नहीं जा रहे? कोई बिहारी 35 लाख रूपए ऐसे कामों के लिए जमा नहीं करेगा। वह कोई दूसरा काम कर लेगा। ठेला लगा लेगा, घुपचुप बेच लेगा, रिक्शा खींच लेगा, लेकिन 35 लाख देकर अमेरिका अवैध रूप से प्रवेश नहीं करेगा।
अमेरिका में इतनी संपत्ति जमा कैसे हो रही है? दुनिया के कई हिस्से गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं। खासकर दक्षिण अफ़्रीकी और एशियाई देशों के लोग। जिस समय कृत्रिम मेधा का डंका बज रहा है, उस समय प्राकृतिक मेधा को ढंग का भोजन, आवास उपलब्ध नहीं है। भारतीयों ने बच्चे खूब पैदा किए, लेकिन उनके लिए रास्ते नहीं बनाए। सम्मान जनक जीवन जीने लायक उम्मीदें भी हमारे नेता नहीं जगा पा रहे। इतनी मानसिक दरिद्रता क्यों है! हमें बार-बार उद्धार के लिए मसीहा क्यों चाहिए? जब-जब होहिं धरम के हानी और तब कोई न कोई अवतार लेता है। हमें अवतार क्यों चाहिए? आम लोगों में इतनी कूबत क्यों नहीं है कि अपने बूते जी सके? दरअसल इसका सबसे बड़ा कारण है – मानसिक खोखलापन। लोकतंत्र में लोक मजबूत होना चाहिए तो वह दरिद्र होता जा रहा है। लोक में यह बात भर दी गई है कि तुम्हें उद्धार करने वाला दिल्ली या पटना में बैठा है। तुम उनके बिना निस्सहाय हो, जबकि पटना और दिल्ली को निस्सहाय होना चाहिए था। जनता का राज जहाँ हो, वहाँ जनता इतना संकटग्रस्त क्यों है? जाहिर है कि जो लोकतंत्र की संरचना है, वह बुनियादी रूप से गलत है। इसे नये सिरे से ही गढ़ना होगा। लोक की सत्ता का अर्थ आज राजपाट के केंद्रीकरण में निहित हो गया है, जबकि लोकतंत्र में सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)