अश्वनी कुमार
आजाद भारत में स्वदेशी के सबसे बड़े प्रचारक एवं सुदृढ़ लोह स्तंभ राजीव दीक्षित जिन्हें लोग प्रेम से राजीव भाई भी कहते हैं। शनिवार 30 नवंबर 2024 को सेवाग्राम में राजीव दीक्षित जी की 14वीं पुण्यतिथि स्वदेशी दिवस के रूप में मनाई गई। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों ने भाग लिया।
देश के जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ मनीष आचार्य जी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि 30 नवंबर को स्वदेशी दिवस घोषित किया जाना चाहिए। इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रधानमंत्री जी से आग्रह करने की जरूरत है।
राजीव दीक्षित जी ने अपने गहन अध्ययनों के आधार पर ऐसी विशेष दिनचर्या और सरल एवं सुलभ उपायों को बताया जिससे कि आदमी बीमार ना पड़े और बीमार पड़े तो वह हमारे रसोई घर की औषधियां से ही रोग मुक्त हो जाए। यहां तक कि वह इन उपायों के द्वारा गंभीर रोगों जो कि आज के समय में लाइलाज हैं और जीवन भर दवाइयां खानी पड़ती हैं। वैसी बीमारियों से व्यक्ति ग्रसित ही ना हो। उन्होंने महर्षि वाग्भट्ट के स्वस्थ रहने के उपायों को अपने व्याख्यानों में स्वास्थ्य चर्चा के रूप में लोगों को जानकारी दी है। राजीव ने विभिन्न विषयों पर देशभर में 12 हजार से भी ज्यादा व्याख्यान दिए हैं। यह एक बड़ी दु:खद विडंबना है कि 30 नवंबर को ही उनका जन्म दिवस भी पड़ता है। इसका जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में राधेश्याम दीक्षित एवं मिथिलेश कुमारी के यहाँ 30 नवम्बर 1967 को हुआ था।
राजीव दीक्षित ऐसे व्यक्तित्व एवं शख्सियत थे जो एक तरफ आयुर्वेद का गहराई से अध्ययन कर सरल एवं सुलभ उपाय को बताया वहीं दूसरी तरफ होम्योपैथिक की भी गहरी जानकारी थी। वहीं दूसरी तरफ ब्रिटेन में स्थित इंडिया हाउस लाइब्रेरी में दर्ज भारत से संबंधित दस्तावेजों का भी अध्ययन किया उन दस्तावेजों के आधार पर जो भारत का चित्र उभरता था और उनमें भारत के सच्चे इतिहास की जानकारी थी जिसकी चर्चा उनके अनेक व्याख्यानों में है। जिसे आज की हर युवा पीढ़ी को जानना चाहिए।
राजीव दीक्षित जैविक प्राकृतिक खेती, काले धन की वापसी, खादी ग्रामोद्योग, देसी गायों का संरक्षण, कुशल प्रशासन के लिए अपना प्रशासनिक तंत्र, राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी की अनिवार्यता, पीढीयों को गुलाम और चरित्रहीन बनाने से रोकने के लिए देशभर में पूर्ण शराबबंदी, पशुधन की सुरक्षा हेतु कत्लखाने की बंदी, जनता के लिए अपनी न्यायिक व्यवस्था, ग्राम स्वराज इत्यादि के गंभीर पक्षधर थें। देसी गौ हत्या और कत्लखानों के बारे में बहुत ही मजबूत और स्पष्ट विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने कहा था कि गाय की हत्या और कत्लखाने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए बहुत ही बड़ा खतरा हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि गाय की हत्या एक राष्ट्रीय और आर्थिक मुद्दा भी है। उन्होंने कहा था कि गाय की हत्या से हमारी अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान होता है। उन्होंने यह साबित कि कैसे एक गाय के जीवित रहने से हमें उसे मारने के अपेक्षा सैकड़ो गुना अधिक आर्थिक लाभ देती है। इसलिए पूरे देशवासियों देशी गायों को बचाने के लिए काम करना होगा।
राजीव दीक्षित जी ने आयुर्वेद का अध्ययन किया और 3500 वर्ष पूर्व महाऋषि चरक के शिष्य वागभट्ट जी को महीनो महीनो तक पढा और बहुत ज्ञान अर्जित किया। फिर घूम घूम कर लोगो को आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे मे बताना शुरू किया की कैसे बिना दवा खाये आयुर्वेद के कुछ नियमो का पालन कर हम सब बिना डॉक्टर के स्वस्थ रह सकते है और जीवन जी सकते है इसके अलावा हर व्यक्ति अपने शरीर की 85% चिकित्सा स्वंय कर सकता है। राजीव भाई खुद इन नियमो का पालन 15 वर्ष से लगातार कर रहे थे जिस कारण वे पूर्ण स्वस्थ थे 15 वर्ष तक किसी डॉक्टर के पास नहीं गए थे । वो आयुर्वेद के इतने बडे ज्ञाता हो गए थे कि लोगो की गम्भीर से गम्भीर बीमारियाँ जैसे शुगर, बीपी, दमा, अस्थमा, हार्ट ब्लोकेज, कोलेस्ट्रोल आदि का इलाज करने लगे थे और लोगो को सबसे पहले बीमारी होने का असली कारण समझाते थे और फिर उसका समाधान बताते थे।
राजीव दीक्षित भारत ही नहीं बल्कि अपने मानवीय एवं विशेषज्ञीय सोच के कारण पूरे विश्व के लिए एक धरोहर स्वरूप थें।