ब्रह्मानंद ठाकुर
ग्राम स्वराज, ग्राम सभा, सर्वोदय शब्द भले ही सुनने में आधुनिक लगे लेकिन इनकी अवधारणा पौराणिक है। हमारी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक विरासत के रूप मे वैदिक काल से लेकर अंग्रेजी सत्ता के कायम होने तक भारत में इससे मिलते-जुलते शब्द पाए जाते हैं। आचार्य विनोबा भावे ने जिस सर्वोदय की बात कही, वह सर्वे भवन्तु सुखिन: के रूप में वैदिक और औपनिषदिक साहित्य में पाया जाता है। ग्राम सभा, जनसभा जैसे शब्द मध्यकालीन साहित्य में न केवल उपलब्ध थे, बल्कि तब गांवों में ग्राम सभाएं थीं तथा गांव की सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवस्था का संचालन इन्हीं के द्वारा होता था। ग्राम सभा के प्रधान को ग्रामिका, ग्राम प्रधान आदि कहा जाता था। इतिहास में यह भी दर्ज है कि मंगल सम्राट बिम्बिसार ने एक बार 84 हजार ग्रामिकाओं की सभा बुलाई थी। उन दिनों प्रजा अपने राजा की गुलाम हुआ करती थी। उसे किसी तरह की स्वतंत्रता नहीं थी, लेकिन गांव खुद मोख्तार थे। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए वे आजाद थे। वे स्वावलंबी थे। उनको बाहर से किसी की मदद की जरूरत नहीं थी। गांधी और विनोबा ने खुदमोख्तार गांव के अवशेषों को देखा होगा, किताबों में उसकी खासियत के बारे में पढ़ा होगा। तभी उन्होंने आजाद भारत में खुद मोख्तार गांव, ग्राम स्वराज और सर्वोदय की परिकल्पना की होगी। गांधी जी ने 1907 में ग्राम स्वराज नाम की एक पुस्तक भी लिखी और आजादी के बाद अपने देश में ग्राम स्वराज की स्थापना का सपना देखा। उन्होंने चरखा, करघा, कोल्हू सहित विभिन्न कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया। उसे आजादी आंदोलन का हथियार बनाया। लेकिन ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने इस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से व्यापार शुरू करा कर, बड़े-बड़े कल -कारखानो के जरिए गांव का स्वावलंबन और खुद मोख्तारी का अंत कर दिया। ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने गांव का स्वावलंबन छीन कर उसे पैसे का जो गुलाम बना दिया था, आजादी के बाद भी वह अबतक जारी है। आज गांव द्वारा उत्पादित सारा सामान पूंजी के माध्यम से शहर में जा रहा है।गांव के लोग अपनी जरूरत की पूर्ति के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। जरूरत है पूंजी (पैसे) के इस आक्टोपसी जबड़े को तोड़ने वाले पूंजीवाद विरोधी समाजवादी आंदोलन शुरू करने की। क्योंकि समाजवादी व्यवस्था कायम कर ही ग्राम स्वराज और खुद मोख्तार गांव का सपना साकार किया जा सकता है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)