किसान विरोधी है कृषि व्यापार की प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति
कृषि व्यापार की प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति
ब्रह्मानंद ठाकुर
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में कृषि व्यापार प्रणाली पर राष्ट्रीय नीति की रूप रेखा तैयार किया गया है। यह नीति 2021 में निरस्त किए गये तीन काले कृषि कानूनों से भी ज्यादा खतरनाक है। आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन समेत अन्य किसान संगठनो ने इस नीति का विरोध किया है। संगठन का मानना है कि यदि यह नीति लागू हुई तो किसानों, कृषि मजदूरों, छोटे उत्पादकों और छोटे व्यापारियों को बड़ा नुकसान होगा। एआईकेकेएमएस के अध्यक्ष सत्यवान एवं महासचिव शंकर घोष ने इस नीति का कड़ा विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।
उन्होंने देश के किसानों से दीर्घकालिक संघर्ष का आह्वान किया है। किसान संगठनो की चिंता इस बात को लेकर है कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी कृषि व्यापार प्रणाली पर राष्ट्रीय नीति की रूपरेखा का मसौदा वर्ष 2021 में निरस्त किए गए तीन काले कृषि कानूनों से भी अधिक खतरनाक है। यदि नई मसौदा नीति लागू की जाती है तो यह किसानों, कृषि श्रमिकों, छोटे उत्पादकों और छोटे व्यापारियों के हितों को बर्बाद कर देगी। यह मसौदा नीति मौजूदा कृषि बाजार प्रणालियों के मौलिक पुनर्गठन के लिए है और इसे मूल्य श्रृंखला केंद्रित बुनियादी ढांचे से जुड़े एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार में बदलने का प्रस्ताव करती है। इसका उद्देश्य कॉर्पोरेट कृषि व्यापार को बढ़ावा देना है, ताकि भारत भर में 7057 पंजीकृत मंडियों और 29,931 ग्रामीण हाटों को डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के साथ एकीकृत किया जा सके। इसका उद्देश्य देश और विदेश की वित्तीय पूंजी के हितों की सेवा करना है। यह आश्चर्यजनक है कि इस नीतिगत ढांचे में न्यूनतम समर्थन मूल्य का उल्लेख नहीं किया गया है, जो भारतीय किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग है। इस नीति का एकमात्र उद्देश्य खेती -किसानी के क्षेत्र में कॉर्पोरेट कृषि व्यवसाय को प्रवेश दिलाना है। ताकि कॉर्पोरेट कृषि व्यवसाय को कृषि उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के क्षेत्र में प्रभुत्व कायम किया जा सके। जरूरत है देश के किसानों को केन्द्र की इस कॉर्पोरेट परस्त, किसान विरोधी, जन विरोधी नीति को गहराई से समझते हुए इसके विरोध में अपनी चट्टानी एकता का परिचय देने की।
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)