ब्रह्मानंद ठाकुर
सोवियत संघ के निर्माता स्टालिन पर एक किताब है— स्टालिन और कम्युनिज्म विरोधी दुष्प्रचार के जवाब में । किताब के लेखक हैं, एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के महासचिव प्रभास घोष। पुस्तक के उत्तरार्ध में स्टालिन के पारिवारिक और निजी जीवन का संक्षेप में वर्णन है। आज के ठाकुर का कोना में उसके कुछ अंश का उल्लेख कर रहा हूं।
एक बार ब्रिटेन के वेब दम्पति सोवियत संघ का समाजवाद देखने गये थे। उनकी इच्छा स्टालिन की पत्नी से मुलाकात करने की हुई। स्टालिन की पत्नी आम मजदुर की तरह एक कारखाने में काम करती थी। छुट्टी के बाद वेब दम्पत्ति से उनकी जब मुलाकात हुई तो उसने आश्चर्य से पूछा, स्टालिन की पत्नी होकर आप यहां आम मजदूर की तरह काम कर रही हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा था— स्टालिन अपनी योग्यता की बदौलत राष्ट्र प्रमुख हैं, मैं अपनी योग्यता के अनुसार एक आम मजदूर हूं। हम सभी अपनी-अपनी योग्यता के हिसाब से समाजवाद के लिए काम कर रहे हैं। स्टालिन के बच्चे जिन स्कूलों में पढ़ते थे, वहां कहा गया था कि स्टालिन के बच्चे के रूप में इनका परिचय किसी को नहीं दिया जाए और न इनको कोई विशेष सुविधा दी जाए। स्टालिन के अंगरक्षक अलेक्सिस राबिन के हवाले से पुस्तक में उल्लेख है कि स्टालिन की बेटी स्वेतलाना के लिए एक अच्छे फ्लैट की व्यवस्था की गई थी। इस पर उन्होंने गुस्से में कहा था, क्या वह केन्द्रीय कमिटी की सदस्य हैं या पोलित ब्यूरो सदस्य हैं कि उसके लिए अलग इंतजाम होगा? जहां सब लोग रहेंगे, वहां वह भी रहेगी। राबिन के हवाले से ही पुस्तक में इस बात का उल्लेख है कि स्टालिन व्यक्तिगत जीवन में दो-तीन से ज्यादा कपड़े नहीं पहनते थे। कोट फट जाने के बाद उसे सिलवा कर पहनते थे। साल में सरकार से स्टालिन को तीन और उनके अंगरक्षकों को दो कोट मिलते थे। तब मजाक में वे अपने अंगरक्षकों से कहा करते थे,आपसे मैं धनी हूं। जूते पुराने हो जाने पर भी वे उसे आसानी से बदलना नहीं चाहते थे। स्टालिन का एक बेटा फौज में लेफ्टिनेंट था। वह जर्मन फौज द्वारा बंदी बना लिया गया। तब हिटलर ने जर्मनी के एक जनरल को छोड़ने के बदले स्टालिन को उनके बेटे को छोड़ने का प्रस्ताव दिया था। तब स्टालिन ने यह कहते हुए उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था कि एक सामान्य से लेफ्टिनेंट के बदले नाजी फौज के किसी जनरल को नहीं छोड़ा जा सकता। यहां यह लिखते हुए 35 साल पहले की एक घटना याद आ जाती है, जब भारत के तत्कालीन गृहमंत्री की बेटी को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाने के लिए गिरफ्तार किए गये आतंकवादियों में से 5 आतंकियों को रिहा किया गया था। आजादी आंदोलन के दौरान और उसके बाद के दिनों में अपने देश के अनेक नेताओं का सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन उच्चतम आदर्शों से परिपूर्ण था। लोग बड़े गर्व से आज भी उनकी चर्चा करते हैं। बाद के दिनों में उच्च मानवीय मूल्यबोध और आदर्श के क्षेत्र जो गिरावट शुरू हुई, वह आज चरम पर पहुंच गया है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)