भारत के विकसित राष्ट्र बनने का सफर आसान नहीं पर असंभव भी नहीं है – मनोहर मनोज

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पश्चिम चम्पारण जिले के निवासी और ख्यात राष्ट्रीय पत्रकार, अर्थशास्त्री और सुधार कार्यकर्ता मनोहर मनोज ने कहा है की भारत के विकसित राष्ट्र बनने का सफर आसान नहीं पर असंभव भी नहीं है। श्री मनोज हाल ही में अपने बिहार दौरे दौरान राजधानी पटना के पटना कॉलेज मे आयोजित संगोष्ठी में अपने मुख्य वक्ता के बतौर अपने भाषण में ये बात कही। श्री मनोज ने कहा की भारत को अगले तेईस साल लगातार न्यूनतम 8 फीसदी की विकास दर हासिल करनी पड़ेगी। पर इस बात की गारंटी नहीं की हम हर साल इतनी विकास दर सुनिश्चित कर लेंगे। क्योंकि भारत जैसे देश में कोई न कोई संकट चाहे वह आपदा हो या किसी फैसले में चूक या गलती हो , उससे विकास दर प्रभावित हो जाती है। श्री मनोज ने कहा की नई आर्थिक नीति के बाद के करीब तीस साल में हमारी औसत विकास दर पांच से छह फीसदी के बीच ही हासिल हो पायी है। ‘2047 तक विकसित राष्ट्र के लक्ष्य, चुनौती और सम्भावनाएं’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में श्री मनोज ने आगे कहा की हमें अर्थव्यस्था को लेकर इस बात का भी ध्यान रखना होगा कौन से क्षेत्र अनुत्पादक हो रहे है और उन्हें किन नए आर्थिक कारोबारी क्षेत्र से स्थानतंतरित करने की आवयश्यकता है। श्री मनोज ने इस बाबत हरित ऊर्जा , नवीनीकृत ऊर्जा , हरित हाइड्रोजन, ड्रोन तकनीक , ऑनलाइन वाणिज्य , इलेक्ट्रिक वाहन , कृत्रिम बौद्धिकता , रोबोट , प्राकृतिक खेती , आर्गेनिक खेती , पर्यावरण , डिजीटल व्यसाय, नए शहर और औद्योगिक बस्ती का निर्माण, आधुनिक सार्वजनिक परिवहन तंत्र जैसे तमाम नए आर्थिक क्षेत्रो का उल्लेख किया।

श्री मनोज ने कहा की भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो इसकी केवल भावनात्मक जुगाली और आत्मप्रवंचना से बचकर विकास का एक संतुलित ,सुदृढ़ और सुस्पष्ट रोडमैप बनाना होगा। इस बाबत देश को कई राजनितिक , आर्थिक और प्रशासनिक सुधारों को भी अंजाम देना होगा। इस बाबत देश को हर तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा बिगुल बजाना होगा और सुशासन के अजेंडे को सर्वोच्च प्राथमिक्ता देनी होगी। श्री मनोहर मनोज ने कहा की शासन में अधिकतम तकनीक का उपयोग करना होगा और सार्वजनिक जीवन में भागीदार सभी को यथोचित प्रतिदान देना पड़ेगा।

श्री मनोज ने कहा की भारत जैसे देश के लिए गैर बराबरी और असमानता बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। जन्म से असमानता पर हमारा वश भले ना हो पर सिस्टम जनित असमानता पर अंकुश जरूर लगाया जा सकता है। पर इसके लिए हमें शिक्षा , स्वास्थ्य , श्रम , रोजगार और सामाजिक सुरक्षा को लेकर समूचे देश में एक समवेत , गैर विभेदकारी और राष्ट्रव्यापी एक इको सिस्टम बनाना पड़ेगा। हमारे यहाँ हर स्तर पर अलग अलग दुनिया जो चल रही है वह दुर्भाग्यपूर्ण है।
गौरतलब है की इसी पश्चिम चंपारण जिले के निवासी श्री मनोज भ्रष्टाचार और गुड गवर्नेंस पर लिखी गई विश्वस्तरीय पुस्तको के लेखक भी है।

श्री मनोज ने सभागार में उपष्ठित अनेको छात्रों और अध्यापको के कई प्रश्नो का उत्तर दिया और उन्होंने बिहार की अर्थवयस्था को लेकर सूबे में कुशल मानव संसाधन का एक बड़ा पूल बनाने का आवाहन किया जिससे बिहार का श्रम देश और विदेश से अरबो डॉलर की आय सुनिश्चित हो सके । श्री मनोज ने कहा की देश के 80 फीसदी आबादी का उत्थान आरक्षण के बजाये सशक्तिकरण के अजेंडे से केवल संभव है।

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