डॉ योगेन्द्र
भागलपुर में एक फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विराजने वाले हैं। वे मुख्यमंत्री हैं, इसलिए जहाँ वे विराजेंगे, उसकी सफाई हो रही है। सड़कों में चिप्पियाँ लगाई गई हैं। उनकी नजर में कोई कुरूप चीजें न आ जाएँ, इसके लिए भी इंतजाम किए गए हैं। आम जनता सड़क किनारे धूल में बसे या खाते रहें, लेकिन मुख्यमंत्री को तो धूल विहीन हवा चाहिए। मुख्यमंत्री आ रहे हैं तो सांसद तेवर में है। कल उन्होंने सभा स्थल पर दो पत्रकारों को दौड़ा दौड़ाकर पीटा। सांसद हैं तो शुभ काम तो करेंगे। उनको हक है। उनके जीवन का प्यारा शगल है- मारपीट करना। अगर यह नहीं करेंगे तो वे भूल नहीं जाएँगे। और फिर वे सांसद हैं, मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट। कानून बनाते हैं भाई। तो कानून तोड़ने का तो हक है। वे कई बार विधायक रहे और दो टर्म से भागलपुर के सांसद हैं। लोग आखिर चुनते भी तो इसीलिए है, वरना वे सांसद रह कर कोई संसदीय काम तो कर नहीं सकते। केंद्रीय विक्रमशिला विश्वविद्यालय बनना था, नहीं बना। उन्हें कोई चिंता नहीं है। वैसे भी उन्हें पढ़ाई लिखाई से क्या मतलब है? विश्वविद्यालय नालंदा में बनेगा, जहाँ के मुख्यमंत्री हैं। भागलपुर की जनता तो ढोल पीटने के लिए है। पत्रकारों की पिटाई का तमाशा देखने बीजेपी के पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन पहुँचे हैं। गजब ड्रामा है। हिम्मत है तो कहें कि सांसद अजय मंडल इस्तीफा दें। नहीं कहेंगे। तब उनके पास निंदा के लिए बच क्या जाता है? पत्रकारों को भी समझना चाहिए कि किसका समर्थन करें, किसका नहीं। कीर्तन गाने की कीमत चुका रहे हैं आप। झूठे और मक्कार लोगों के समर्थन में अपना शब्द खर्च करते हैं तो हश्र तो यह होना ही था। चुनाव के समय जो पैसा देगा, उसके पक्ष में लिखेंगे, बोलेंगे। ऐसी दशा में कोई क्या करे?
दूसरे मुख्यमंत्री हैं आदित्यनाथ सिंह। योगी हैं। घूम घूमकर कुंभ मेले का वीआईपी निमंत्रण बांट रहे थे- आइए, कुंभ मेले में। इनकी बदइंतजामी का ही मामला है कि सैकड़ों भक्त काल कवलित हो गए। मौनी अमावस्या स्नान। गजब ढोंग है इस देश में। इसलिए देश अमेरिका का दुमछल्ला बना हुआ है और चीन से काँपता है। धर्म का फर्जीवाड़ा चल रहा है देश में। पाप करो, गंगा स्नान करो। सब पापों की धुलाई हो जाएगी। मंदिर में होता है देवताओं का वीआईपी दर्शन। वैसे ही कुंभ में होता है वीआईपी स्नान। नेता कुलाँच भरेंगे गंगा में। घाट पर कोई नहीं रहेगा, सिर्फ नेता और उसके दोस्त रहेंगे। जनता तो भेड़ बकरियां हैं। सौ पापी मरेगा तो आज के एक नेता का जन्म होगा। झूठ, प्रपंच और पाखंड। कबीर को फिर से आना चाहिए। इसके ढोंग का तबला बजाने। हिंदू धर्म को तो इन लोगों ने तहस नहस कर एक वोट बना दिया है। ध्यान, योग, आध्यात्म नहीं। हंगामे, डर और हिंसा। धर्म को पैरों तले कुचल रहे हैं और पढ़े लिखे तक थालियाँ और तालियाँ बजा रहे हैं। योगी जंगल से विधानसभा और लोकसभा में घुस रहे हैं और ऐसी ऐसी बातें कह रहे हैं जो साधारण मनुष्य भी नहीं उच्चार सकता। दोस्तो, इनको कड़ी सबक चाहिए। बिगड़े हुए धर्म ध्वजाधारियों को फिर से जंगल भेजना आज की पहली जरूरत है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)