बड़बोले ट्रंप, अमेरिका फर्स्ट और विश्व गुरु

राष्ट्रपति बनते हीं ट्रंप ने अमेरिका फर्स्ट का दिया नारा

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डॉ योगेन्द्र
ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते हुए नारा दिया- अमेरिका फर्स्ट। ट्रंप के सिर पर बैठे पूँजीपति मस्क ने भी हाँ में हाँ मिलायी। दोनों ने सौगंध खाई है कि दुनिया में अमेरिका को फर्स्ट बनायेंगे। ट्रंप ने खुद को अमेरिका का उद्धारक बताया और कहा कि बुरे दिन गये, स्वर्णिम दिन आये। अमेरिका को फर्स्ट बनाने के लिए उन्होंने पहला कदम यह उठाया कि जो मंत्री परिषद बनायी, वह भूतपूर्व राष्ट्रपति वाइडेन की तुलना में 2800 गुना अमीर है। यानी मंत्री परिषद और सलाहकार मंडल में भरे पूरे लोग रहेंगे। जब वे अमीर रहेंगे, तब न अमेरिका को अमीर बनायेंगे। ट्रंप खुद में अच्छे ख़ासे व्यवसायी हैं। भुक्खड़ लोग क्या देश को समृद्ध करेंगे? अब लोकतंत्र में गरीबों के लिए पतली गली भी नहीं बची है। हमारे वाले जो प्रधानमंत्री जी हैं, उन्होंने भी अच्छे दिन लायेंगे, का वादा किया था। उनके समर्थक तो कब से देश को विश्व गुरु बनाने में लगे हैं। ट्रंप कह रहे हैं- अमेरिका फर्स्ट और हमारे वाले कह रहे हैं हमारा वाला फर्स्ट। बोलियों से अगर देश की उन्नति होती तो कोई भी देश पीछे नहीं रहता। सभी के राष्ट्राध्यक्ष लंबी-लंबी हाँकने में किसी से कम नहीं हैं और जाते जाते देश को पीछे खींच कर जाते हैं। ट्रंप व्यापारी हैं। वे व्यापार करने में दक्ष हैं, इसलिए वे दूसरे देशों के उत्पादों पर ज़्यादा कर लगायेंगे। इससे अमेरिका को 86. 45 लाख करोड़ का फ़ायदा होगा। पनामा शहर पर आजकल चीन का कब्जा है। उन्होंने कहा है कि वे चीन को पनामा शहर से खदेड़ देंगे। अवैध प्रवासियों की तो खैर नहीं। अमेरिका में एक करोड़ दस लाख अवैध प्रवासी हैं। उन्हें वे लाठी- डंडे से मार मारकर भगा देंगे। यह है अमेरिका का उदारीकरण का चेहरा। लूटने के लिए आर्थिक उदारीकरण होगा। लेकिन लोग जो लंबे समय से अमेरिका में हैं। उसे देश से निकाल देंगे।
अमेरिका बहुत पुराना देश नहीं है। मुश्किल से छह सात सौ वर्ष पुराना। ट्रंप आदि के कुल ख़ानदान भी बाहरी ही होंगे। वहाँ के मूल निवासियों को तो मार पीट श्वेतों ने अमेरिका पर क़ब्ज़ा किया है। मगर जो बाजार में चल जाता है, वही सच हो जाता है। जो भी हो ट्रंप अमेरिका को ग्रेट बनाने का प्रण लिया है। ग्रेट बनाने के लिए वे किस-किस निर्धन देशों का खून चूसेंगे, अभी कहना मुश्किल है। हमारे वाले तो आपदा में अवसर ढूँढने में माहिर हैं। चीन और अमेरिका के बीच जो तनातनी होगी, उसमें वे अवसर ढूँढेंगे। दरअसल हमारे वाले गंदगी परोसने में भरोसा करते हैं। देश के अंदर कैसे किसको लड़ाना है, किसको पीटना है, कैसे राजपाट के लिए असत्य को परोसना है, इसके खिलाड़ी हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश की भी यही हालत है। तीनों देश अमेरिका के पिछलग्गू बने हुए इसीलिए हैं कि अपना उनका कुछ नहीं है। डालर छलाँगें मारेगा और रूपया भूमि पर लोटेगा। उनकी इज्जत और राज बना रहे, इसके लिए राम धुन करेंगे। दिमाग तो बैठ गया है। कोई नया उपक्रम तो कर नहीं सकते। सत्रहवीं सदी में जीते हैं। उनका प्यारा शगल है- हिंदू मुस्लिम। लोगों के दिमाग में हर दिन गंदगी परोसेंगे तो इन्हें अमेरिका के सामने कल जोड़ कर खड़ा रहना पड़ेगा। हाँ, जनता के समक्ष ऐसा दिखायेंगे कि लगेगा कि उड़ती चिड़िया को भी हल्दी लगा रहे हैं।

Elon Musk Donald Trump
डॉ योगेन्द्र
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं
जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)
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