डॉ योगेन्द्र
दुनिया में अगर कोई अंतर्राष्ट्रीय है तो वह है पूंजीपति। वे कहीं भी विचरण कर सकते हैं। सत्ता उन्हें प्यार और दुलार से बुलाती है और उसके लिए रेड कार्पेट बिछाती है। वे पहले मुनाफे कमाते थे और नेताओं के समक्ष हाथ जोड़े रहते थे। अब उनका काम बढ़ गया है। वे मुनाफाखोरी के अलावे दो काम कर रहे हैं- पहला- वे राजनेताओं पर सवारी कस रहे हैं और दूसरा,जनता को प्रवचन दे रहे हैं। दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पूंजीपति एलन मस्क सवारी कस रहे हैं और भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अंबानी- अडानी जैसे पूँजीपति। मस्क ने जर्मनी की राजनीति में भी हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है। उसने चुनाव में घोर दक्षिणपंथी दल एएफडी का समर्थन किया है। एएफडी का मतलब है अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी। एएफडी के चांसलर उम्मीदवार एलिस विडेल के साथ उसने 74 मिनट तक बातचीत की, जिसमें एलिस ने हिटलर को एक कम्युनिस्ट साबित किया। मस्क के मिज़ाज इतने बढ़े चढ़े हैं कि जर्मनी के पूर्व चांसलर शुल्ज को वे मूर्ख कह चुके हैं।
भारत के पूंजीपति लार्सन एंड टुब्रो कंपनी के सीईओ सुब्रमण्यम और महामना नारायण मूर्ति ने कहा है कि देश को विश्वगुरु बनाना है तो सप्ताह में नब्बे घंटे काम करो। उन्होंने कामगारों को उपदेश दिया है कि घर में मर्द बीबी का चेहरा या बीबी मर्द का चेहरा कितना देखेंगे। माननीय सुब्रह्मण्यन को महीने में मात्र 51 करोड़ वेतन मिलता है। एक घंटे का सत्रह लाख रुपये। उन्हें जन्नत की हकीकत मालूम हो गई है, इसलिए उनकी सलाह है कि नरक की तरह काम करो। यानी अपनी देह काम में गला दो और आपको देह गलाने के कितने रुपये मिलेंगे- मात्र दस बीस हजार रुपये महीने। सुब्रह्मण्यन को 51 करोड़ रूपए और इंजीनियर को मात्र दस- बीस हजार। युवाओ, बेहतर होगा कि ऐसे अवसर पर कुंभ मेले में जाओ और मोदी- योगी के सामने दंडवत् करो और कुंभ स्नान करो। इतना भर तय है कि सत्ता सुख भोग रहे ये राजनेता तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पायेंगे। ये खुद चाकरी कर रहे हैं। इनके हाथ बंधे हैं। तुम्हें धर्म-घुट्टी पिला ही दी गयी है। ललाट पर चंदन घिसो और मस्त रहो। कल विश्व हिन्दी दिवस था। युवाओं को लगता है कि हिंदी हिन्दुओं की भाषा है और उर्दू मुसलमानों की। कबीर, रहीम, जायसी जैसे महान कवियों को पढ़ने के बाद भी भाषाई जहर फैल रहा है। उन्हें यह भी लगता है कि पूरी दुनिया के मुसलमान उर्दू बोलते हैं। वे यह नहीं समझते कि बंगाल के मुसलमान बांग्ला, केरल के मलयालम, तमिलनाडु के तमिल, कर्नाटक के मुसलमान कन्नड़ बोलते हैं। पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग भाषा के नाम पर हुआ और अरब, ईरान, इराक़, लेबनान आदि मुस्लिम देशों की भाषा उर्दू नहीं है। कुरान शरीफ़ कोई उर्दू में नहीं लिखा है और उर्दू भी कोई मुसलमानों की भाषा नहीं है। उपन्यास सम्राट प्रेमचंद पहले उर्दू में ही लिखते थे और फ़िराक जैसे महान शायर हिन्दू थे। आज इसकी बहुत आवश्यकता है कि अपने मानस का विस्तार करें। अपने में बंद रह कर मानव कैसे विकास करेगा? भारत का वास्तविक विकास पूंजीपतियों के धूर्तता पूर्ण उपदेशों से नहीं होगा, बल्कि हमारी और आपकी सदिच्छाओं से होगा ।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)