सवालों के घेरे में हम आप भाजपा भी

दोहरा चरित्र भारतीय राजनीति में कब तक

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Dual character in politics
बाबा विजयेन्द्र (स्वराज खबर, समूह सम्पादक)

पूर्वांचल का मतलब है दिल्ली में वे सारे लोग जो घर बार छोड़कर स्थायी और अस्थायी रूप से यहां रह रहे हैं और अपनी मिहनत और लगन से दिल्ली को सजा रहे हैं। वैसे अन्य प्रांतों के लोग भी यहां रह रहे हैं, लेकिन पूर्वांचल का सीधा अर्थ केवल बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से ही है। मैं यहां इनकी ही बात अभी करूँगा। पूर्वांचल के सवाल पर सारे दलपति आज अपनी तलवार भांज रहे हैं। अरविंद केजरीवाल के बयान को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता है। जिस तरह की बातें उन्होने इस चुनाव में और चुनाव के पहले भी कही है, उस पर हमारी भी घोर आपत्ति है।
विपक्ष तो विपक्ष है। दिल्ली में भाजपा को मुद्दा हाथ लग गया है सो भुनाने की भरसक कोशिश कर रही है। हो सकता है इस विरोध का कुछ फायदा भी भाजपा को मिल जाए? वैसे इस चुनाव में भाजपा हर तरह से दिल्ली फतह करना चाहती है।
हमारा सवाल भाजपा से भी है कि इनका यह दोहरा चरित्र भारतीय राजनीति में कबतक दिखता रहेगा?
इस दोहरे चरित्र का सम्बन्ध भाजपा से गहरा है क्योंकि अभी पूर्वांचलियों के हितैषी होने का दावा केवल यही कर रही है। वैसे बिहारियों को अपमानित करने जैसी निर्लज्जता केवल भाजपा की ही नहीं है बल्कि सभी दलों की है।
बिहार और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं। आखिर ट्रेन भर-भर कर लोग इन प्रांतों से क्यों भाग रहे हैं? इस प्रश्न का उत्तर इनके पास नहीं है, कोई बात नहीं, पर ट्रेन में जिस तरह टिकट का पैसा देकर भी पशुवत यात्रा कर दिल्ली आते हैं क्या यह शर्म का विषय नहीं है? इनकी व्यवस्था में बिहार के लोग भेड़ बकरी की तरह क्यों हैं? क्या भाजपा के पास इसका कोई उत्तर है?
हरियाणा में बिहारी मजदूरों पर हमला होता है। असम में बिहार के छात्र पीटे जाते हैं। महाराष्ट्र और असम में बिहार के लोगों पर जानलेवा हमला होता है तब भाजपा इनके सम्मान में सड़क पर क्यों नहीं उतरती है? इन सभी जगहों पर तो इन्ही का जाल फैला हुआ है। फिर उस वक्त भाजपा मौन क्यों रहती है? भाजपा के लिए भी पूर्वांचल के लोग केवल वोटर-लिस्ट भर ही हैं।
विपक्ष की भी जहां-जहां सरकारें हैं वहां भी पूर्वांचलियों का कौन सा सम्मान का इतिहास है? पंजाब में भाजपा की सरकार हो या कांग्रेस की, बिहारी पिटते रहे हैं। केजरीवाल को ममता ने इस चुनाव में समर्थन दिया है। क्या केजरीवाल ने कभी बंगाल सरकार को आगाह किया कि बिहार के छात्रों पर जानलेवा हमला न किया जाए? शायद नहीं। सच तो यही है कि इन लोगों को केवल प्रवासियों का वोट चाहिए।
संविधान ने यह अधिकार हम सबको दिया है कि कोई भी कहीं रह सकता है और अपनी आजीविका का आधार पुख्ता कर सकता है पर सरकारों का ऐसा असंवैधानिक चरित्र क्यों सामने आता है कि अपने ही देशवासियों को हिकारत से देखे?
यह जो खेल चल रहा है इसके पीछे रोटी और रोजगार को लेकर गहरा असुरक्षा बोध ही है। मन से सभी एक हिन्दुस्तान की बात तो करते हैं पर जब भूख सामने आती है तो क्षेत्रवाद उभर कर सामने आ जाता है। इस घटना को क्षेत्रवाद के आधार पर नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टि से भी देखने की जरुरत है। असली सवालों का सामना कोई भी दल नहीं करना चाहता है। दिल्ली या देश भर में प्रवासियों का विरोध हो या समर्थन, सभी सवालों से बचने के उपाय भर हैं।
भाजपा अभी जो तलवार भांज रही है इसका खामियाजा आगामी बिहार के चुनाव में भी भुगतना पड़ सकता है। लगभग दो दशक से भाजपा यहां सरकार में है। यहां से लोगों का पलायन क्यों नहीं रुका अब तक? क्यों यहां के नौजवान किसान और मजदूर बिहार से भाग रहे हैं? दिल्ली और देश के लोग पटना क्यों नहीं आ रहे हैं? क्योंकि यहां रोजगार का कोई अवसर ही नहीं है।
कोई भी व्यक्ति गरीब हो या अमीर अपमानित नहीं होना चाहता। हालात और मजबूरी जो न कराये। मुझे लगता है भाजपा को इधर भी मुड़कर देखना चाहिए कि वह भी इस गाली गलौज का गुनहगार तो नहीं?

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