डॉ योगेन्द्र
खबरों में खबर यह है कि चीन न केवल हमारे देश की सीमा में घुसा, बल्कि लद्दाख में दो-दो जिले (काउंटी) बना लिए। वर्तमान प्रधानमंत्री जो दावे करने में किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री को पछाड़ते रहते हैं, उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा। विदेश मंत्रालय यह कह रहा है कि उसने कड़ा एतराज जताया है। कड़ा एतराज और काम संपन्न। चीन की अरुणाचल में घुसपैठ जग जाहिर है। हाँ, मामला पाकिस्तान का हो तो प्रधानमंत्री लाउडस्पीकर बन जाते हैं। वे चीन के सामने भीगीं बिल्ली बने रहते हैं। एक राष्ट्रीय संगठन के 156 संगठन हैं। बांग्लादेशी घुसपैठ की झूठी सच्ची खबर छप जाये तो लगता है कि उनके सिर पर पहाड़ गिर गया है और वे पागल होकर चीखने लगते हैं। यहाँ तक कि असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा पर तो लगता है कि दौरा पड़ गया है। लेकिन चीन की घुसपैठ पर नील बँटा सन्नाटा है। सर संचालक ने डंडे चलाने की बात की है। मौका है ऐसे वीर बांकुडों के लिए। वे तुरंत लद्दाख मार्च करें। डंडा क्यों, उनके हाथ मशीन गन थमा दें। डराना और देश में नफरत फैलाना एक बात है, देश की रक्षा करना दूसरी बात। दरअसल कमजोरों पर लाठी चला कर वीर कहलाने की इनकी लंबी परंपरा है। अगर मजबूत का सामना करना पड़े तो रिरियाना इनकी फितरत में है।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री -दोनों चुनाव प्रिय हैं। चीन की घुसपैठ हो रही है। कोई बात नहीं। उन्हें तो अरविंद केजरीवाल का शीशमहल लुभा रहा है। बात इतनी सी है कि अरविंद केजरीवाल जब दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने मुख्यमंत्री आवास की मरम्मती करवायी। मुख्यमंत्री का आवास चमकने लगा। यह उनकी आँखों में गड़ने लगा। दिल्ली का चुनाव सामने है। चुनाव में चटखारी खबरें बहुत काम आती हैं। झारखंड में चुनाव के दरम्यान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित सभी बीजेपी नेता प्रचार कर रहे थे कि झारखंड में बांग्लादेशी घुस आये हैं। चुनाव खत्म हुआ। अब कोई कुछ नहीं कह रहा। न कोई डाटा जारी कर रहा है और न कोई बयान दे रहा है। अब यह नारा दिल्ली में लग रहा है। पूरे देश के बांग्लादेशी घुसपैठिये दिल्ली पहुँच चुके हैं। घुसपैठ को रोकने का काम किसका है? क्या राज्य सरकारें घुसपैठ रोकेंगी? केंद्र सरकार का काम भी राज्य सरकार ही करने लगे? दरअसल अपनी असफलता को दूसरे के माथे पर थोपने का हुनर उन्हें आता है। नाखून कटा कर शहीद तो वे बनते ही रहे हैं। सिर कटाने का जब वक़्त था तो सिर छिपा कर रखा। उसके लिए कभी अफसोस नहीं किया। हाँ, जिन्होंने संघर्ष किया, उसे बदनाम करने की मुहिम खूब चलायी। अब महज दुष्प्रचार कर देश की गद्दी को हथियाना और देश के मानस को गंदा करना ही उनका काम है। लद्दाख में चीन द्वारा दो जिले बना लेना कोई मामूली खबर नहीं है। यह हमारी संप्रभुता के खिलाफ है। वर्तमान की केंद्रीय सरकार देश की संप्रभुता की भी रक्षा नही कर पा रही। तीन माह पहले खबर आयी थी कि चीन और भारत में सम्मानजनक समझौते हुए। सरहद पर दोनों देश के सैनिक हटने लगे हैं। तीन माह बाद चीन द्वारा घुसपैठ की पक्की खबर है। चीन के लिए हमारा बाज़ार बिछा है। हम सिर्फ़ नारे लगाते हैं कि चीनी समानों का बहिष्कार करो। सरहद और घर के अंदर चीनी घुसपैठ बेरोकटोक जारी है ।
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)