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ठाकुर का कोना
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को याद करते हुए
बांग्ला के प्रख्यात उपन्यासकार शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय से मेरा पहला परिचय बचपन में छात्र जीवन के दौरान उनकी कहानी 'महेश' से हुआ था।
व्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी
जिस स्वतंत्रता में सामाजिक जिम्मेदारी का बोध न हो वैसी स्वतंत्रता समाज को गर्त में ले जाती है।
लोकतंत्र में ऐसी संवेदनहीनता उचित नहीं
सरकार को डल्लेवाल के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए किसान की मांग पर विचार करें क्योंकि लोकतंत्र में इतनी संवेदनहीनता उचित नहीं होती है।
व्यक्ति के हित से समाज का हित बड़ा होता है
पूंजीवादी व्यवस्था ने अपने वर्ग हित में व्यक्ति को समाज से इस तरह अलग-थलग कर दिया है कि उसे समाज की तनिक भी चिंता नहीं है।
विवेकानन्द के विचारों को समझना जरूरी
वर्तमान व्यवस्था में विवेकानंद के सपनों को पूरा करना असम्भव है। इसके लिए पहली शर्त होगी पूंजीवाद का खात्मा।
गुलामी प्रथा की वापसी की आहट!
लार्सन एंड टुब्रो कम्पनी के चेयरमैन एस एन सुब्रह्मण्यन के हालिया बयान को इसी नजरिए से समझने की जरूरत है।
किसान विरोधी है कृषि व्यापार की प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में कृषि व्यापार प्रणाली पर राष्ट्रीय नीति की रूप रेखा तैयार किया गया है।
जब मंत्रियों ने महाकवि का रथ खींचा था
पंडित लेखनाथ पौड्याल नेपाल के वयोवृद्ध महाकवि थे। उनका राजकीय सम्मान किया जा रहा था।
कलम चाह ले तो सियासत को पछाड़ सकती है
आज के अधिकांश कलमकार समझौतावादी बन चुके हैं। उनकी कलम शोषितों-पीडितों की पीड़ा को अब आवाज नहीं देती।
दुखवा का से कहूं
किसानो का दर्द है कि मजदूरी कर नहीं सकते लिहाजा लीज पर जमीन लेकर अपनी मर्यादा बचाने की असफल कोशिश कर रहे हैं।