अजित पवार पर आरोप: महिला IPS अधिकारी को फोन पर धमकाने का मामला
मुंबई,। 05 सितम्बर 25 । महाराष्ट्र के डिप्टी CM और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष अजित पवार का महिला IPS अधिकारी अंजना कृष्णा से बहस का वीडियो सामने आया है। इसमें वे महिला अधिकारी को फटकारते नजर आ रहे हैं। घटना 31 अगस्त को सोलापुर जिले के कुर्दु गांव की बताई जा रही है, जहां IPS मुरम का अवैध खनन रोकने पहुंची थीं।
वीडियो में नजर आ रहा है कि सिविल ड्रेस में IPS अंजना कृष्णा हाथ में मोबाइल लिए खड़ी हुई हैं। उनके आस-पास कुछ लोग हैं। IPS की कॉल पर अजित पवार से बात चल रही है। दावा है कि अजित पवार IPS को कार्रवाई रोकने का कह रहे हैं।
घटना का विवरण
सूत्रों के मुताबिक, महिला IPS अधिकारी हाल ही में एक संवेदनशील मामले की जांच कर रही थीं। इस बीच उन्हें अजित पवार का फोन आया, जिसमें कथित तौर पर पवार ने दबाव बनाने की कोशिश की और जांच में ‘अनुकूलता’ दिखाने के लिए कहा। अधिकारी ने जब नियमों के अनुसार काम करने की बात कही तो उन्हें फोन पर धमकाए जाने का आरोप है।
महिला अधिकारी का रुख
अधिकारी ने यह मामला लिखित रूप से दर्ज कराया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी राजनीतिक दबाव के आगे झुकने वाली नहीं हैं और अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा से निभाती रहेंगी। महिला IPS अधिकारी के इस साहसिक कदम को पुलिस विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी समर्थन दिया है।
विपक्ष का हमला
इस मामले पर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार और खासकर अजित पवार पर जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) के नेताओं ने कहा कि यह लोकतंत्र और कानून-व्यवस्था पर हमला है। उन्होंने मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और अजित पवार को अपने पद से तुरंत हटाया जाए।
अजित पवार का जवाब
दूसरी ओर अजित पवार ने इन आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद और राजनीतिक साजिश बताया है। उनका कहना है कि उन्होंने किसी भी अधिकारी को न तो धमकाया और न ही किसी जांच में हस्तक्षेप किया। पवार ने कहा कि यह विपक्ष की चाल है, ताकि उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।
महाराष्ट्र में पहले से ही गठबंधन सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में यह विवाद सरकार की मुश्किलें और बढ़ा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर आरोप साबित होते हैं तो इसका असर न केवल अजित पवार की साख पर बल्कि पूरे गठबंधन पर पड़ सकता है।
महिला IPS अधिकारी को फोन पर धमकाने का मामला गंभीर है और इसकी जांच से ही सच्चाई सामने आ सकेगी। यह प्रकरण पुलिस विभाग की स्वतंत्रता, महिला अधिकारियों की सुरक्षा और राजनीति में नैतिकता से जुड़े बड़े सवाल खड़े करता है।