आपदा और विपदा के बीच दिल्ली का चुनाव

दिल्ली के चुनाव में भाजपा की धमाकेदार एंट्री

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बाबा विजयेन्द्र (स्वराज खबर के समूह सम्पादक)

सियासत में गर्मी बहुत होती है। जनाकांक्षा की आंच पर दिल्ली में अब सियासत की रोटियां सेंकी जायेगी। इसमें कुछ पकी-अधपकी और कुछ जली हुई रोटियां होंगी। भीषण शीतलहर के बीच दिल्ली चुनाव की तिथि की घोषणा हो चुकी है। पांच को मतदान और आठ को परिणाम आएंगे। रिजल्ट के पूर्व जीतार्थी ने जीत की पूरी तैयारी की है। इस चुनाव परिणाम में कोई पास होंगे तो कोई फेल होंगे। जो भी हो दिल्ली का चुनाव रोचक होने वाला है। दिल्ली इलेक्शन में मोदी की इंट्री हो चुकी है। इस इंट्री द्वारा दिल्ली के चुनाव में भाजपा ने बहुत ही धमाकेदार आगाज किया है।

दिल्ली के चुनाव की तिथि तो आज घोषित हुई है पर भाजपा ने आपदा से निपटने की तैयारी पहले ही पूरी कर ली है। भाजपा का आपदा प्रबंधन जगजाहिर है। भाजपा आप को निपटा देने को तैयार है। भारतीय लोकतंत्र के लिए बीजेपी को विपक्ष विपदा ही मान रहा है। आपदा से निपटा जा सकता है पर विपदा को झेलने और भोगने के सिवाय हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।
शीशमहल में झाड़ू अब नहीं रहेगा। मुगले आजम की मीना कुमारी को शीश महल में जितना नाचना था नाच ली, पर अब मोदी-ए-आजम में यह सब किसी को नसीब नहीं होगा। दिल्ली के शहंशाह केजरीवाल शीशमहल में नहीं रह पाए। बेदर्दी बीजेपी ने चैन से कुछ दिन गुजारने भी नहीं दिया।
पॉलिटिक्स किया तो डरना क्या? शीशमहल में यह आवाज आज भी गूंज रही है। आप के लिए डगर दिल्ली की आसान नहीं है। यह गर्म तवे की तरह बहुत छाले देती है। कैद कर लिए गए केजरीवाल। सत्ता दूसरे को सौंप कर केजरीवाल को समर में उतरना पड़ा।
क्या आप अब इतिहास हो रहा है? क्या इसका कोई भविष्य नहीं? आप का वर्तमान तो चुनौतियों से भरा है। थोड़ा निश्तेज और थोड़ा निसहाय।
जो भी हो बिहार में पीके और दिल्ली में एके चर्चा में हैं। इनके भविष्य पर बहस जारी है। कोने में कांग्रेस भी खड़ी है। यह आप की खटिया खड़ी कर सकती है। कांग्रेस को खाट पंचायत का बहुत तजुर्बा है। अगर कांग्रेस की सेंधमारी हुई तो आपकी तबियत बिगड़ सकती है। हरियाणा में आप ने भी यही किया था जो काम दिल्ली चुनाव में कांग्रेस करने वाली है।
दिल्ली के चुनाव परिणाम से सभी दलों का भविष्य तय होना है। मोदी के पक्ष में परिणाम आया तो खरमास का संकट टल जाएगा और भाजपा उत्साह के साथ बिहार में प्रवेश करेगी। नीतीश जो आज फुफकार रहे हैं या फूफा बन रहे हैं। इनकी औकात भी दिल्ली चुनाव के बाद ढीली हो जाएगी।
इधर राहुल गांधी को भी भाजपा के जीत की पीड़ा नहीं होगी। कांग्रेस को अपनी हार की कोई चिंता नहीं होगी। पीड़ा होगी केजरीवाल की जीत से। केजरीवाल की हार से राहुल का नेतृत्व स्थापित होगा। एकक्षत्र विपक्ष का नेता होना सुनिश्चित होगा।
इधर भाजपा की जीत के बाद नागपुर भी थोड़ा खामोश होगा। गुजरात लॉबी को लेकर नागपुर असहज ही रहा है। भागवत के बयान के बाद भाजपा सम्हल गयी है अब इनका संभल भी ऑफस्क्रीन है। जो भी हो रहा है वह एक रूटीन-रायट है यानी दैनंदिनी का हिस्सा है। मुसलमान भाजपा का हाजमा है। सियासी सेहत को ठीक करता है यह हाजमा। मुसलमानो हजम की बात तो होती है पर वह हजम नहीं होती।
भागवत के बयान के बाद मोदी दरगाह चले गए? गंगा सागर से प्रयाग के संगम तक एक नयी धारा निकलेगी। बहुत कुछ बदलेगा। केवल दिल्ली के चुनाव परिणाम का इंतजार करें।


									
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