कृष्णायन की एक दिनचर्या: कैमरे की नजर से
हरिद्वार स्थित कृष्णायन गौशाला आज सिर्फ एक गौशाला नहीं, बल्कि गोसंरक्षण और ग्रामीण सतत विकास का जीवंत केंद्र बन चुकी है। यहाँ गायों की सेवा और देखभाल को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक साधना माना जाता है। यदि कैमरे की नजर से कृष्णायन की एक दिनचर्या को देखा जाए, तो यह न केवल गायों की सेवा का अद्भुत अनुभव कराता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराईयों से भी परिचित कराता है।
सुबह की शुरुआत: मंगला आरती और सेवा
कृष्णायन की सुबह सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाती है।
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गौशाला में सबसे पहले मंगला आरती होती है। इस समय भक्त और गोसेवक मिलकर गौमाता के सामने दीप प्रज्वलित करते हैं।
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इसके बाद गायों को चारा, हरा घास और पानी उपलब्ध कराया जाता है।
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कैमरे की नजर से देखें तो यह दृश्य किसी आध्यात्मिक अनुष्ठान से कम नहीं लगता।
दैनिक देखभाल और चिकित्सा सेवा
गायों की देखभाल कृष्णायन की प्राथमिकता है।
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पशु चिकित्सक हर दिन स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं।
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बीमार और वृद्ध गायों के लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं।
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कैमरे में अक्सर यह झलकता है कि सेवा भाव से गायों को दवा और पोषण दिया जा रहा है।
दोपहर का समय: गौमाता का विश्राम और सेवा कार्य
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दोपहर में गायें खुले आंगन और शेड में आराम करती हैं।
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इस दौरान सेवक उनकी सफाई, दूध दोहन और परिसर की देखभाल में जुटे रहते हैं।
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कैमरा इस समय शांति और सेवा का अद्भुत संतुलन कैद करता है।
शाम की झांकी: गौ पूजा और भजन संध्या
जैसे ही सूरज ढलता है, गौशाला में भक्ति और आध्यात्मिकता का वातावरण छा जाता है।
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शाम को गौ पूजा आयोजित होती है, जहाँ दीपक और फूलों से गौमाता का श्रृंगार किया जाता है।
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इसके बाद भजन संध्या होती है, जिसमें भक्तजन एक साथ भजन-कीर्तन गाते हैं।
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कैमरे की नजर से यह दृश्य किसी तीर्थस्थल जैसा प्रतीत होता है।
विशेष पहल: गो-आधारित उत्पाद और सतत विकास
कृष्णायन में केवल गायों की सेवा ही नहीं, बल्कि उनसे जुड़े सतत विकास कार्य भी किए जाते हैं।
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गोबर से खाद, बायोगैस और इको-फ्रेंडली उत्पाद बनाए जाते हैं।
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कैमरे में अक्सर महिलाएँ और ग्रामीण इन उत्पादों को बनाते हुए दिखाई देती हैं।
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यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का जीवंत उदाहरण है।
कृष्णायन की दिनचर्या केवल गौसेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, आध्यात्मिकता और सतत विकास का संगम है। कैमरे की नजर से देखें तो कृष्णायन हर पल प्रेरणा देता है—कैसे गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि भारतीय जीवन और संस्कृति की आत्मा हैं।