ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ: ट्रम्प के नए कदम से वैश्विक स्वास्थ्य बाजार में हलचल
नई दिल्ली । 26 सितम्बर 25 । अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाई पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ये टैरिफ 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। यह टैक्स उन कंपनियों पर नहीं लगेगा जो अमेरिका में ही दवा बनाने के लिए अपना प्लांट लगा रही हैं।
भारत पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले ही 50% टैरिफ लगाया है। ये टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो चुका है। कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी फूड जैसे भारतीय प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट इससे महंगा हो गया है। हालांकि दवाओं को इस टैरिफ से बाहर रखा गया था।
ट्रम्प ने कहा- ‘1 अक्टूबर से हम ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाई पर 100% टैरिफ लगा देंगे, सिवाय उन कंपनियों के जो अमेरिका में अपना दवा बनाने वाला प्लांट लगा रही हैं।
अमेरिका की रणनीति और घरेलू उद्योग को फायदा
अमेरिका लंबे समय से दवा आयात पर निर्भर रहा है, खासकर भारत और चीन जैसे देशों से। ट्रम्प का यह कदम घरेलू कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिला सकता है, क्योंकि विदेशी दवाएं अब महंगी हो जाएंगी। अमेरिकी कंपनियां इसे एक अवसर की तरह देख रही हैं, ताकि वे घरेलू उत्पादन को तेज कर सकें और बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकें।
वैश्विक असर और दवा आपूर्ति पर संकट
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भारत, जो दुनिया की सबसे बड़ी जेनेरिक दवा आपूर्तिकर्ता है, इस फैसले से सीधे प्रभावित हो सकता है। भारत से अमेरिका को बड़ी मात्रा में दवाएं जाती हैं, और उन पर 100% टैरिफ का मतलब है कि उनकी लागत दोगुनी हो जाएगी।
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इससे अमेरिकी मरीजों को सस्ती दवाएं मिलना मुश्किल होगा, खासकर कैंसर, डायबिटीज और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में।
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वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों ने भी चेतावनी दी है कि इस तरह के निर्णय से दवा की उपलब्धता और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी।
राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव
ट्रम्प का यह कदम केवल आर्थिक निर्णय नहीं है, बल्कि एक कूटनीतिक संदेश भी है। अमेरिका ने यह संकेत दिया है कि वह अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए आक्रामक नीति अपनाएगा, चाहे इसका असर अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर क्यों न पड़े। भारत और अन्य देशों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है ताकि वे नए शुल्क और व्यापार बाधाओं के बावजूद अमेरिकी बाजार में बने रह सकें।
आगे की संभावनाएं
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अमेरिका में कीमतों में वृद्धि: ब्रांडेड दवाओं के महंगे होने से आम उपभोक्ता प्रभावित होंगे।
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नई साझेदारियां: भारत और यूरोप को नए बाजार तलाशने होंगे।
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अनुसंधान पर असर: वैश्विक स्तर पर फार्मा रिसर्च सहयोग प्रभावित हो सकता है।
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राजनीतिक बहस: अमेरिका में यह मुद्दा चुनावी बहस का हिस्सा बन सकता है, क्योंकि इसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ेगा।
ट्रम्प का यह निर्णय अल्पकाल में अमेरिकी कंपनियों को राहत दे सकता है, लेकिन दीर्घकाल में इससे वैश्विक दवा आपूर्ति श्रृंखला में असंतुलन और मरीजों के लिए संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।